atOptions = { 'key' : '346aa58492cef058dcf2cdf5e6808038', 'format' : 'iframe', 'height' : 60, 'width' : 468, 'params' : {} }; >
धन निरंकार जी
निरंकार मिशन के अनुसार
हेल्लो दोस्तों भाइयो बहनो (सआसंगत जी)
आज हम एक कहानी के अनुसार आपको यह दास
परमात्मा का मेल (दर्शन )कराएगा।
यदि हमसे कोई भी लिखित भाषा में गलती हो जाए तो कृप्या करके अपने नदान दास को क्षमा कर देना।
कहानी
कई दिनों पहेले की बात है केवचनी गाँव में एक बालक रहता था, जिसका नाम अरुण था। अरुण बचपन से ही वह किसी रहस्य मी बातो की जानने की बातो में प्रश्न करता रहता था। वह हमेशा अपने माता-पिता और गाँव के बुजुर्गों से सवाल करता रहता था और एक दिन उसने सोचा कि, "परमात्मा कौन है? वह कहाँ रहते हैं? क्या मैं उन्हें देख सकता हूँ?" कुछ देर तक सोचा और अपने माता पिता से सवाल किया तो माता पिता ने परमात्मा की जानकारी के लिए एक गुरु जी का होना जरूरी है
फिर उसने शांति नही बैठा और गाव के लोगों से सवाल किया तो गाव के लोगों ने
तो गाव के लोगो ने कहा कि
"परमात्मा हर जगह हैं, बेटा।" लेकिन अरुण को यह उत्तर समझ में नहीं आता था। उसे लगता था कि "अगर परमात्मा हर जगह हैं तो मैं उन्हें क्यों नहीं देख पाता हूँ ?" फिर वह जंगल की ओर घुमने निकल पड़ा तो वह एक आश्रम के पास पहुचा तो एक साधु से उसकी भेट होती हैं तब वहाँ पर बूढ़े साधु ने ध्यान में बैठे थे। अरुण ने उनसे वही सवाल किया, "बाबा, परमात्मा कौन है? क्या मैं उन्हें देख सकता हूँ?"
adsसाधु ने मुस्कुराते हुए अरुण से कहा, "बेटा, परमात्मा को देखने के लिए आँखें नहीं, एक शुद्ध हृदय चाहिए। क्या तुम सच में परमात्मा को ढूँढना चाहते हो?"
अरुण ने उत्सुकता से सिर हिलाया, "हाँ बाबा, मुझे परमात्मा को देखना है।"
साधु बोले, "तो चलो, मैं तुम्हें परमात्मा के बारे में एक कहानी सुनाता हूँ।"
परमात्मा का रहस्य
"बहुत पहले की बात है, एक राजा था, जो बहुत घमंडी था। वह सोचता था कि दुनिया में सबसे ताकतवर और सबसे बुद्धिमान वही है। एक दिन उसने अपने दरबारियों से कहा, 'जाओ और कोई बुध्दिमान साधु को ढूँढकर लाओ। जो मुजससे शक्तिशाली हो और गुणवान भी हो फिर मैं उसे जानना चाहता हूँ कि वह कौन हैं और कहाँ रहते हैं।'
दरबारियों ने बहुत कोशिश की लेकिन परमात्मा को कहीं नहीं ढूँढ पाए। फिर एक दिन एक साधारण चरवाहा राजा के पास आया। चरवाहे ने कहा, 'महाराज, मैं परमात्मा को जानता हूँ। वह हमारे चारों ओर हैं। आप चाहें तो मैं आपको दिखा सकता हूँ।'
adsराजा हँसा, 'कैसे? क्या तुम मुझसे मजाक कर रहे हो?'
चरवाहे ने कहा, 'नहीं महाराज, अगर आप मुझे समझने का थोड़ा सा भी समय दें, तो मैं बता सकता हूँ।' की परमात्मा कहा रहता है और कैसा दिकता है।
चरवाह ने राजा को लेकर एक शांत नदी के किनारे गया। उसने राजा से कहा, 'महाराज, इस नदी में जरा सा झुककर अपना चेहरा देखिए।'
राजा ने नदी में झाँककर देखा। तो पानी में उसका चेहरा साफ दिखाई दिया।
चरवाहे ने कहा, 'महाराज, जिस तरह इस पानी में आपका प्रतिबिंब दिखाई देता है, वैसे ही परमात्मा हर जगह हैं। लेकिन उन्हें देखने के लिए मन का जल साफ होना चाहिए। यदि हमारे अंदर अहंकार, क्रोध और स्वार्थ का कीचड़ है, तो हमें परमात्मा दिखाई नहीं देंगे।'
राजा को पहली बार अहसास हुआ कि परमात्मा को देखना केवल बाहरी आँखों का काम नहीं है। उन्होंने सिर झुकाया और कहा, 'अब मैं समझ गया कि परमात्मा मेरे हृदय में हैं और हर जीव में समाए हुए हैं।'
अरुण की समझ 👉
साधु ने कहानी खत्म की और अरुण की ओर देखा।
साधु ने कहा, की बेटा "परमात्मा को ढूँढने के लिए कहीं बाहर जाने की ज़रूरत नहीं। वह तो तुम्हारे अंदर, मेरे अंदर, इस हवा, पानी और हर जीव में बसे हुए हैं। जब तुम अपने मन को शांत और प्रेम से भर लोगे, तब तुम्हें परमात्मा का एहसास होगा।"
अरुण की आँखों में चमक आ गई। उस दिन से उसने हर छोटे-बड़े जीव में परमात्मा को देखना शुरू किया। वह जान गया था कि परमात्मा कोई दूर बैठी शक्ति नहीं हैं, बल्कि हर जगह व्याप्त हैं।
कुछ सीख मिली है तो कमेंट करना 🙏
"जो सबमें है, वही परमात्मा है। जो प्रेम है, वही परमात्मा है। और जो सत्य है, वही परमात्मा है।"
लेखक ; भानु प्रताप सिंह
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें