सआसंगत जी
धन निरंकार जी
निरंकार के संपूर्ण गुण
1. निराकार - परमात्मा का कोई रूप नहीं होता है वह बिना आकार का होता है।
2. सर्वव्यापक - निरंकार सब जगह विद्यमान है; वह संपूर्ण सृष्टि में व्याप्त है।
3. अजय और अमर - निरंकार न जन्म लेता है, न मृत्यु को प्राप्त होता है; वह सदा अमर है ।
4. निर्विकार - उस पर समय, परिस्थितियों या विकारों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
5. सत्-चित्-आनंद स्वरूप - वह सत्य (सत्), चेतना (चित्) और आनंद (आनंद) का स्वरूप है।
6. दयालु और कृपालु - निरंकार अनंत दया और कृपा का स्रोत है, जो सब जीवों पर बरसता रहता है।
7. न्यायकारी - परमात्मा सदा न्याय करता है और कर्मों के अनुसार फल देता है।
8. सर्वशक्तिमान - उसकी शक्ति अनंत है; उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं है।
9. निर्भय - निरंकार स्वयं निर्भय है और उसके ध्यान से मनुष्य भी निर्भय बन जाता है।
10. एक ओंकार - वह एकमात्र है; उसके समान और कोई नहीं।
निरंकार के इन गुणों का बखान संतों और गुरुओं ने किया है। उसके ध्यान और भक्ति से मनुष्य जीवन का सार समझता है और आत्मिक शांति प्राप्त करता है। निरंकार की पहचान हमें सच्चे प्रेम, सत्य, और समर्पण के माध्यम से होती है।
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