Nirankari mishan ke pratham guru

 

      निरंकारी मिशन के प्रथम गुरु


निरंकारी मिशन की स्थापना 1929 में बाबा बूटा सिंह जी द्वारा की गई थी। इसे "संत निरंकारी मिशन" के नाम से जाना जाता है। यह एक आध्यात्मिक आंदोलन है जिसका उद्देश्य लोगों को निरंकार (परमात्मा) के वास्तविक स्वरूप की पहचान कराना और मानवता के बीच प्रेम, एकता और भाईचारे का प्रसार करना है।


मिशन की शुरुआत:


बाबा बूटा सिंह जी ने पंजाब (भारत) में इस मिशन की नींव रखी।


उनका उद्देश्य था कि लोग निरंकार (निर्गुण परमात्मा) का साक्षात्कार करें और अज्ञानता, अंधविश्वास तथा धार्मिक कट्टरता से मुक्त होकर एकता और प्रेम को अपनाएं।


बाबा बूटा सिंह जी के बाद बाबा अवतार सिंह जी ने इस मिशन को आगे बढ़ाया।



मिशन के उद्देश्य:


1. निरंकार का ज्ञान

लोगों को यह सिखाना कि ईश्वर एक निराकार शक्ति है जिसे अनुभव किया जा सकता है।



2. समानता का संदेश

जाति, धर्म, भाषा या किसी भी भेदभाव से ऊपर उठकर मानवता को एकजुट करना।



3. प्रेम और सेवा

मानवता की सेवा और प्रेम को जीवन का आधार बनाना।



4. व्यावहारिक जीवन जीने की शिक्षा

धार्मिकता को केवल कर्मकांडों तक सीमित न रखते हुए इसे जीवन में व्यावहारिक रूप से लागू करना।




मिशन के वर्तमान स्वरूप:


संत निरंकारी मिशन अब एक अंतरराष्ट्रीय संगठन बन गया है।


इसका मुख्यालय दिल्ली, भारत में स्थित है।


यह मिशन मानव एकता के लिए कार्य करता है और आज दुनिया के कई देशों में इसके अनुयायी हैं।



      प्रमुख गुरु:


     1. बाबा बूटा सिंह जी (1929-1943)



      2. बाबा अवतार सिंह जी (1943-1962)



      3. बाबा गुरबचन सिंह जी (1962-1980)



      4. बाबा हरदेव सिंह जी (1980-2016)



       5. सतगुरु माता सविंदर हरदेव जी (2016-2018)



         6. वर्तमान में सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज इस             मिशन का नेतृत्व कर रही हैं।




         यह मिशन अपने आध्यात्मिक संदेश के साथ-साथ            सेवा और मानवता के प्रति योगदान के लिए जाना जाता          है।

                  Bhanu pratap                        wrighter



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